माया सरकार फिर चंदा वसूली के आरोपों के घेरे में है इस बार ये आरोप किसी अभियंता ने नहीं बल्कि बल्कि एक संस्कृत विश्वदियालय के कुलपति ने लगाये हैं....कुलपति ने मायावती को चिट्ठी लिख कर बताया है की उनकी सरकार के शिक्षा मंत्री बहिन जी के लिए पांच करोड़ का चंदा जमा कर रहे हैं...
मायावती सरकार फिर से कटघरे में है..इस बार आरोप लगा है शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र पर...रंगनाथ यूपी में माध्यमिक शिक्षा विभाग में मंत्री है और माया के सर्वजन फोर्मुले के तहत ब्रह्मं समाज से मंत्री बनाये गए हैं..संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है की सिक्षा मंत्री के आदेश पर शिक्षा निदेशालय के सहायक निदेशक महानद मिश्रद्वारा प्रत्येक अनुदान पाने वाले विद्यालयों से ५-५ लाख रूपये जमा कराये गए हैं और जिन्होंने पैसे नहीं दिए उनका अनुदान रोक लिया गया..कुलपति बीके शःत्री ने अपने पत्र में कहा है की शिक्षा मंत्री ने मुख्यमंत्री के नाम पर पांच करोड़ जमा करने का टारगेट बनाया है और अब तक २ करोड़ को वसूल चुके हैं...ये प्रकरण बेहद गंभीर है क्योंकि आरोप किसी ऐरे गिरे ने नहीं बल्कि कुलपति ने लगाये हैं..पत्र मिलने के बाद से सरकार भरी शर्मिंदगी की स्थिति में है लेकिन इस पर जाँच या एनी दूसरी कोई कार्रवाई की बात तो दूर इस पत्र को ही दबाने की व्यवस्था कर दी गया है...आरोपी मंत्री रंगनाथ मिश्र मायावती के लिए चन्दा वसूली के आरोपों से मन करते हुए उल्टे कुलपति पर ही आरोप लगा रहे हैं
पत्र लिखने के बाद कुलपति बीके शास्त्री अब बात करने को तईयार नहीं है..लेकिन उनके पत्र ने माया सरकार की चन्दा वसूली की प्रथा की पोल खोल दी है दरअसल यूपी में अभी हाल ही में सरकार ने २५६ विद्यालय को अनुदान की सूची यानी सरकारी सहायता देने का ऐलान किया था..इन संस्कृत विद्यालयों में जयादातर में ब्रह्मण परिवार के गरीब बच्चे संस्कृत पड़ने आते हैं और ये स्कूल मंदिर, ट्रस्ट या फिर बड़े लोगो द्वारा दिए जाने वाले दान के जरिये चलाया जाता है लेकिन दुर्भाग्य देखिये की इन्हें चन्दा देने के बजाय वसूला जा रहा है..और ऐसा तब हो रहा है जब मायावती ब्रह्मण समाज के लिए बड़ी उदार बतायी जा रही हैं..
NAIROSHNI
UTTAR PRADESH KA HAAL...NAIROSHNI KE SAATH
Sunday, July 12, 2009
अयोध्या मामला: अब तक २३ फाइलें हुई गायब
मायावती के राज में उत्तर प्रदेश सचिवालय से राम जन्म भूमि बनाम बाबरी मस्जिद विवाद के अब तक २३ अहम् दस्तावेज गायब हो चुके हैं..ये कागजात १९४९ और उसके बाद के हैं के हैं जो मुकदमें की सुनवाई के लिए काफी अहम् माने जा रहे हैं..इन कागजातों की तलाश के लिए गृह विभाग ने शासनादेश तक जारी किया लेकिन दस्तावेज अभी तक हासिल नहीं हुए हैं..यूपी सरकार के होम सेक्रेटरी के गोपनीय पत्र से ये नया खुलासा हुआ है की गायब होने वाले कागजात की संख्या ७ नहीं बल्कि २३ तक पहुचगयी है
अयोध्या के राम जन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद विवाद से संबंधित २३ पुराने कागज़ात ढूँढने के लिए हड़कंप मचा हुआ है..इसकी तलाश के लिए राज्य के प्रमुख सचिव गृह फतह बहादुर सिंह ने एक परिपत्र जारी किया है जिसमें सभी विभागों से कहा गया है की अयोध्या मामले से जुड़े दस्तावेज जिसके पास भी हों उसको फौरन गृह विभाग को उपलब्ध कराये..इसके लिए ६ जून की तिथि अंतिम निर्धारित की गयी थी जो बीत चुकी है लेकिन वो कागजात गायब हैं..अब होम सेक्रेटरी जावीद अहमद ने इसी डेट में पत्र लिखा है और ये कबूला है की ७ नहीं बल्कि अबत तक २३ फाइलें गायब हो चुकी हैं जिनका कोई अत पता नहीं है..सरकार की तरफ से सभी अनुभागों और कोर्ट को ये सूचना दी जा चुकी है..ये सनसनीखेज खुलासा हुआ है ये कागज़ात दिसंबर 1949 में विवादित मस्जिद परिसर में श्रीराम की मूर्तियाँ रखने के तुंरत बाद राज्य सरकार और ज़िला प्रशासन के बीच हुए पत्राचार और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की ओर से भेजे गए तार से संबंधित हैं. सुन्नी वक्फ़ बोर्ड ने जो कागज़ात माँगे हैं इनमें चार पत्र 20 जुलाई 1949 और तीन सितंबर 1949 को राज्य सरकार की ओर से ज़िलाधिकारी और कमिश्नर फ़ैज़ाबाद को भेजे गए थे. दो पत्र फ़ैज़ाबाद के ज़िलाधिकारी की ओर से 26 और 27 दिसंबर 1949 को राज्य के मुख्य सचिव को भेजे गए थे.सातवाँ कागज़ तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की ओर से राज्य सरकार को भेजा गया टेलीग्राम और अयोध्या में विवादित स्थल पर मालिकाना हक़ से सम्बंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज इसमें शामिल है..अगर इनकी मूल प्रति नहीं मिलती है तो अयोध्या विवाद पर कोर्ट चाहते हुए भी फैसला नहीं ले सकता..यानी मामला लाब्मे समय के लिए से लटक सकता है
हाईकोर्ट की विशेष पीठ ने कल राज्य के मुख्यसचिव अतुल गुप्त को इस मामले में व्यक्तिगत तौर पर तलब किया था.अदालत ने सुनवाई में इस बात पर नाराज़गी जताई कि राज्य सरकार पिछले पांच साल से इस मसले में हीलाहवाली कर रही है. बहस के दौरान अदालत ने कहा कि लगता है सरकार इस मामले में जल्दी फ़ैसला नहीं चाहती और मामले को लटकाए रखना चाहती है. कोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगायी है की अगर फाइलें गायब थी तो मुकदमा क्यों नहीं लिखवाया गया और दोषी लोगों के खिलाफ राज्य सर्कार ने कार्रवाई क्यों नहीं की...सरकार ने अदालत फिर समय माँगा है...लेकिन अब ये साफ़ हो गया है की वो फाइलें अब अतीत का विषय बन चुकी हैं...? क्या ये किसी साजिश का हिस्सा है ? इसका जवाब मिलना अभी बाकी है
अयोध्या के राम जन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद विवाद से संबंधित २३ पुराने कागज़ात ढूँढने के लिए हड़कंप मचा हुआ है..इसकी तलाश के लिए राज्य के प्रमुख सचिव गृह फतह बहादुर सिंह ने एक परिपत्र जारी किया है जिसमें सभी विभागों से कहा गया है की अयोध्या मामले से जुड़े दस्तावेज जिसके पास भी हों उसको फौरन गृह विभाग को उपलब्ध कराये..इसके लिए ६ जून की तिथि अंतिम निर्धारित की गयी थी जो बीत चुकी है लेकिन वो कागजात गायब हैं..अब होम सेक्रेटरी जावीद अहमद ने इसी डेट में पत्र लिखा है और ये कबूला है की ७ नहीं बल्कि अबत तक २३ फाइलें गायब हो चुकी हैं जिनका कोई अत पता नहीं है..सरकार की तरफ से सभी अनुभागों और कोर्ट को ये सूचना दी जा चुकी है..ये सनसनीखेज खुलासा हुआ है ये कागज़ात दिसंबर 1949 में विवादित मस्जिद परिसर में श्रीराम की मूर्तियाँ रखने के तुंरत बाद राज्य सरकार और ज़िला प्रशासन के बीच हुए पत्राचार और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की ओर से भेजे गए तार से संबंधित हैं. सुन्नी वक्फ़ बोर्ड ने जो कागज़ात माँगे हैं इनमें चार पत्र 20 जुलाई 1949 और तीन सितंबर 1949 को राज्य सरकार की ओर से ज़िलाधिकारी और कमिश्नर फ़ैज़ाबाद को भेजे गए थे. दो पत्र फ़ैज़ाबाद के ज़िलाधिकारी की ओर से 26 और 27 दिसंबर 1949 को राज्य के मुख्य सचिव को भेजे गए थे.सातवाँ कागज़ तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की ओर से राज्य सरकार को भेजा गया टेलीग्राम और अयोध्या में विवादित स्थल पर मालिकाना हक़ से सम्बंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज इसमें शामिल है..अगर इनकी मूल प्रति नहीं मिलती है तो अयोध्या विवाद पर कोर्ट चाहते हुए भी फैसला नहीं ले सकता..यानी मामला लाब्मे समय के लिए से लटक सकता है
हाईकोर्ट की विशेष पीठ ने कल राज्य के मुख्यसचिव अतुल गुप्त को इस मामले में व्यक्तिगत तौर पर तलब किया था.अदालत ने सुनवाई में इस बात पर नाराज़गी जताई कि राज्य सरकार पिछले पांच साल से इस मसले में हीलाहवाली कर रही है. बहस के दौरान अदालत ने कहा कि लगता है सरकार इस मामले में जल्दी फ़ैसला नहीं चाहती और मामले को लटकाए रखना चाहती है. कोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगायी है की अगर फाइलें गायब थी तो मुकदमा क्यों नहीं लिखवाया गया और दोषी लोगों के खिलाफ राज्य सर्कार ने कार्रवाई क्यों नहीं की...सरकार ने अदालत फिर समय माँगा है...लेकिन अब ये साफ़ हो गया है की वो फाइलें अब अतीत का विषय बन चुकी हैं...? क्या ये किसी साजिश का हिस्सा है ? इसका जवाब मिलना अभी बाकी है
Saturday, March 21, 2009
माया का मास्टर स्ट्रोक
मायावती ने अपने चुनावी अभियान का श्रीगणेश करने से पहले आज लखनऊ में सूबे के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की..लम्बे समय से माया की लिस्ट के इन्तेजार में रोजाना अटकलों का बाज़ार गरम रहता था...प्रत्याशियों के चयन में मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग का पूरा ध्यान रखा है..८० सीटों वाले सूबे में ब्राह्मण समाज को सबसे ज्यादा १९, उसके बाद दलितों को १७, मुस्लिम प्रत्याशी १७, राजपूत ०७, यादव ०४, और वैश्य समुदाय को मायावती ने ०३ सीटों पर चुनाव मैदान में उतारा है...जाहिर सी बात है है की इस बार भी माया ने ब्राहमणों पर करम किया है......
इस सूची में जो नाम हैं उनमें से कई तो काफी चौंकाने वाले हैं...मसलन, पूरब के घोषित मफियायों हरिशंकर तिवारी के परिवार में बीएसपी ने तीन सीटें दी है, बेटे विनय तिवारी को गोरखपुर और संत कबीर नगर जबकि भतीजे गणेश शंकर पाण्डेय को महराजगंज से बीएसपी ने उम्मीदवार बनाया है..पड़ोस में गाजीपुर से माफिया मुख्तार अंसारी के कहने पर उसके भाई अफजाल और खुद मुख्तार को माया ने वाराणसी सीट से प्रत्याशी चुना है...वाराणसी के पड़ोस में है जौनपुर वहां से कुख्यात माफिया धनञ्जय सिंह, हाथी की सवारी कर रहे हैं..जौनपुर से लगी सीट है फूलपुर यहाँ से कभी जवाहर लाल नेहरु सांसद थे अब अतीक अहमद हैं लेकिन मायावती ने कौशाम्बी के माफिया कपिल मुनि करवरिया को टिकट दिया है..आजमगढ़ से किसी तरह जोड़ तोड़ कर अकबर अहमद डम्पी अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे...श्रावस्ती से माफिया रिजवान ज़हीर उन्नाव से अन्ना शुक्ल, बदायूं से डीपी यादव जैसे नामी गिरामी माफिया हाथी के नाम पर वोट मांगते दिखेंगे...
.पैसे वालों पर भी माया की विशेष कृपा है..मेरठ से मलूक नागर, फर्रुखाबाद से नरेश अग्रवाल गौतमबुद्ध नगर से सुरेन्द्र नागर और लखनऊ से अखिलेश दास जैसे धनकुबेर मैदान में उतारे गए हैं..पार्टी के दो बड़े नेता प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्या को कुशीनगर जबकि शहीद सिद्दीकी को बिजनोर से टिकट मिला...दलबदलुओं की इस बार माया के घर बहार है....जगदीश राणा को सहारनपुर, मुजफ्फरनगर से कादिर राणा, लखनऊ से अखिलेश दास, नरेश अग्रवाल. देवेन्द्र यादव को एटा, सर्वराज सिंह को आंवला, शाफीकुर्र्रेह्मान को संभल, किरितिवर्धन को गोंडा और शिवाकांत ओझा को प्रतापगढ़ से बीएसपी ने टिकट दिया है..यानी दलबदलुओं की भी इस बार बल्ले बल्ले है..
.इस सूची में एक और ख़ास बात रही है की माया ने इस बार अपनी पार्टी के नेताओं का दबाव एक तरह से स्वीकार कर लिया है..पार्टी ने परिवारवाद को जगह दी है..अलीगढ से मंत्री जयवीर सिंह की पत्नी राजकुमारी सिंह, फतेहपुर सीकरी से मंत्री रामवीर उपाध्याय की पत्नी सीमा उपाध्याय, शाहजहांपुर से विधायक विजय पाल की पत्नी सुनीता सिंह और सीतापुर से विधायक जासमीर अंसारी की पत्नी कैसर जहाँ को टिकट देकर पार्टी के भीतर की बगावत को शांत करने की कोशिश की गयी है...पार्टी ने अपने बेस वोट बैंक दलित समुदाय में टिकटों के वितरण में ज्यादा सतर्कता बरती है इसलिए एक एक सीटों पर २-३ बार प्रत्याशी बदले जाने के बाद आज अंतिम सूची जारी की गयी....मायावती ने टिकट वितरण में इस बार बाकियों के मुकाबले ब्राह्मणों को ज्यादा तवज्जो को देकर एक फिर १४ फीसदी वाले इस वोट बैंक पर हाथी का जाल फेंका है..
इस सूची में जो नाम हैं उनमें से कई तो काफी चौंकाने वाले हैं...मसलन, पूरब के घोषित मफियायों हरिशंकर तिवारी के परिवार में बीएसपी ने तीन सीटें दी है, बेटे विनय तिवारी को गोरखपुर और संत कबीर नगर जबकि भतीजे गणेश शंकर पाण्डेय को महराजगंज से बीएसपी ने उम्मीदवार बनाया है..पड़ोस में गाजीपुर से माफिया मुख्तार अंसारी के कहने पर उसके भाई अफजाल और खुद मुख्तार को माया ने वाराणसी सीट से प्रत्याशी चुना है...वाराणसी के पड़ोस में है जौनपुर वहां से कुख्यात माफिया धनञ्जय सिंह, हाथी की सवारी कर रहे हैं..जौनपुर से लगी सीट है फूलपुर यहाँ से कभी जवाहर लाल नेहरु सांसद थे अब अतीक अहमद हैं लेकिन मायावती ने कौशाम्बी के माफिया कपिल मुनि करवरिया को टिकट दिया है..आजमगढ़ से किसी तरह जोड़ तोड़ कर अकबर अहमद डम्पी अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे...श्रावस्ती से माफिया रिजवान ज़हीर उन्नाव से अन्ना शुक्ल, बदायूं से डीपी यादव जैसे नामी गिरामी माफिया हाथी के नाम पर वोट मांगते दिखेंगे...
.पैसे वालों पर भी माया की विशेष कृपा है..मेरठ से मलूक नागर, फर्रुखाबाद से नरेश अग्रवाल गौतमबुद्ध नगर से सुरेन्द्र नागर और लखनऊ से अखिलेश दास जैसे धनकुबेर मैदान में उतारे गए हैं..पार्टी के दो बड़े नेता प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्या को कुशीनगर जबकि शहीद सिद्दीकी को बिजनोर से टिकट मिला...दलबदलुओं की इस बार माया के घर बहार है....जगदीश राणा को सहारनपुर, मुजफ्फरनगर से कादिर राणा, लखनऊ से अखिलेश दास, नरेश अग्रवाल. देवेन्द्र यादव को एटा, सर्वराज सिंह को आंवला, शाफीकुर्र्रेह्मान को संभल, किरितिवर्धन को गोंडा और शिवाकांत ओझा को प्रतापगढ़ से बीएसपी ने टिकट दिया है..यानी दलबदलुओं की भी इस बार बल्ले बल्ले है..
.इस सूची में एक और ख़ास बात रही है की माया ने इस बार अपनी पार्टी के नेताओं का दबाव एक तरह से स्वीकार कर लिया है..पार्टी ने परिवारवाद को जगह दी है..अलीगढ से मंत्री जयवीर सिंह की पत्नी राजकुमारी सिंह, फतेहपुर सीकरी से मंत्री रामवीर उपाध्याय की पत्नी सीमा उपाध्याय, शाहजहांपुर से विधायक विजय पाल की पत्नी सुनीता सिंह और सीतापुर से विधायक जासमीर अंसारी की पत्नी कैसर जहाँ को टिकट देकर पार्टी के भीतर की बगावत को शांत करने की कोशिश की गयी है...पार्टी ने अपने बेस वोट बैंक दलित समुदाय में टिकटों के वितरण में ज्यादा सतर्कता बरती है इसलिए एक एक सीटों पर २-३ बार प्रत्याशी बदले जाने के बाद आज अंतिम सूची जारी की गयी....मायावती ने टिकट वितरण में इस बार बाकियों के मुकाबले ब्राह्मणों को ज्यादा तवज्जो को देकर एक फिर १४ फीसदी वाले इस वोट बैंक पर हाथी का जाल फेंका है..
ये मुन्ना तो सियासी है !!!
संजय दत्त को सियासत की हवा ऐसी लगी है है की अब वो हर दर पर मत्था टेक रहे हैं....हनुमान जी को लड्डू चढाने के बाद आज वो लखनऊ के हर बडे छोटे मौलानाओं से मिले और अपने लिए दुआ करने की अर्जी लगायी लेकिन मौलाना तो मौलान ठहरे संजय के लिए सियासी दुआ करने के बजाय उन्हें मेहमान बताते रहे जबकि संजूबाबा कहते रह गए की वो तो घर के आदमी हैं..
: मुन्ना तेरे कितने रूप....ये sanjay दत्त तो सियासी है...रोज ही चोला बदल रहा है मुन्ना भाई....नगरी नगरी द्वारे द्वारे..फरियाद लगा रहे हैं संजय दत्त कि उन्हें अक्षय कुमार की सिंह इज किंग की तरह .".इक बारी...." मौका दे दो..लेकिन लखनऊ कि जानता इतनी आसानी से कुछ देती नहीं...लेकिन संजूबाबा जल्दी में हैं उन्हें लगता है कि फौरान समर्थन क्यों नहीं मिल रहा है? मिलेगा भी कैसे..ये रील नहीं बल्कि रियल लाइफ कि सियासत है जहाना पाते बहुत थोड़े लोग हैं और खोने वालों कि तादाद ज्यादा है..फिलहाल उनके लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाज़त मिलना अभी पहली बड़ी बाधा है
मुन्ना भाई इस बार लाब्मे प्रवास पर लखनऊ आये हैं...सब से मिल लेना चाहते हैं....ताकि वोट पक्का रहे...मंदिर-मस्जिद...गुरु, मौलाना युवा, महिलाएं, डॉक्टर, प्रोफ़ेसर और पार्टी के वोर्केर्स...मुन्ना सबसे गाँधी गिरी कर रहे हैं लेकिन इस बार जब संजू बाबा लखनऊ पहुंचे तो माहौल बदला हुआ था...बीजेपी ने लालजी टंडन को मैदान उतार दिया और टंडन ने संजू पर बाहरी होने का हमला कर कर दिया..वो अपने को लखनऊ का बताते हैं और यहाँ से अपनी बुनियाद तलाश रहे हैं लेकिन उनकी बात आसानी से लोगों के गले नहीं उतर रही हैं यही वजह है कि मौलाना खालिद रशीद फिरंगीमहली ने कहा कि वो संजू के लिए सियासी अपील नहीं करेंगे लेकिन मेहमान के नाते वो उनका स्वागत करते हैं....मौलाना के दर से संजू बाबा खाली हाथ लौटे
सियासत जो कराये..सिल्वर स्क्रीन का सितारा अब ज़मी पर है...लोगों के हाथ जोड़ रहा है..एक अदद वोट के लिए गली-गली घूम रहा है...हर शोट पर मेकप लेने वाला संजय दत्त दिन-दिन भर लखनऊ कि गलियों कि धुल फांक रहा है..प्रचार के समय आज अमर सिंह वापस दिल्ली चले गए तो उनकी सुरक्षा करने वाले कमांडो भी वापस चले गए...सुरक्षा का अभाव और भीड़ कि धक्का मुक्की से संजय
: मुन्ना तेरे कितने रूप....ये sanjay दत्त तो सियासी है...रोज ही चोला बदल रहा है मुन्ना भाई....नगरी नगरी द्वारे द्वारे..फरियाद लगा रहे हैं संजय दत्त कि उन्हें अक्षय कुमार की सिंह इज किंग की तरह .".इक बारी...." मौका दे दो..लेकिन लखनऊ कि जानता इतनी आसानी से कुछ देती नहीं...लेकिन संजूबाबा जल्दी में हैं उन्हें लगता है कि फौरान समर्थन क्यों नहीं मिल रहा है? मिलेगा भी कैसे..ये रील नहीं बल्कि रियल लाइफ कि सियासत है जहाना पाते बहुत थोड़े लोग हैं और खोने वालों कि तादाद ज्यादा है..फिलहाल उनके लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाज़त मिलना अभी पहली बड़ी बाधा है
मुन्ना भाई इस बार लाब्मे प्रवास पर लखनऊ आये हैं...सब से मिल लेना चाहते हैं....ताकि वोट पक्का रहे...मंदिर-मस्जिद...गुरु, मौलाना युवा, महिलाएं, डॉक्टर, प्रोफ़ेसर और पार्टी के वोर्केर्स...मुन्ना सबसे गाँधी गिरी कर रहे हैं लेकिन इस बार जब संजू बाबा लखनऊ पहुंचे तो माहौल बदला हुआ था...बीजेपी ने लालजी टंडन को मैदान उतार दिया और टंडन ने संजू पर बाहरी होने का हमला कर कर दिया..वो अपने को लखनऊ का बताते हैं और यहाँ से अपनी बुनियाद तलाश रहे हैं लेकिन उनकी बात आसानी से लोगों के गले नहीं उतर रही हैं यही वजह है कि मौलाना खालिद रशीद फिरंगीमहली ने कहा कि वो संजू के लिए सियासी अपील नहीं करेंगे लेकिन मेहमान के नाते वो उनका स्वागत करते हैं....मौलाना के दर से संजू बाबा खाली हाथ लौटे
सियासत जो कराये..सिल्वर स्क्रीन का सितारा अब ज़मी पर है...लोगों के हाथ जोड़ रहा है..एक अदद वोट के लिए गली-गली घूम रहा है...हर शोट पर मेकप लेने वाला संजय दत्त दिन-दिन भर लखनऊ कि गलियों कि धुल फांक रहा है..प्रचार के समय आज अमर सिंह वापस दिल्ली चले गए तो उनकी सुरक्षा करने वाले कमांडो भी वापस चले गए...सुरक्षा का अभाव और भीड़ कि धक्का मुक्की से संजय
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