Sunday, March 8, 2009

माफिया की "माया

उत्तर प्रदेश का ताकतवर माफिया सिंडिकेट इस बार फिर से चुनावमैदान में है...हमेशा सत्ता के साथ रहने वाला ये सिंडिकेट इस बार हाथ कीसवारी कर रहा है..इस राज्य की सियासत का अपराधीकरण हो चुका है इसलिएसत्ता की चाभी हथियाने के लिए सभी को इनका सहारा चाहिए क्योंकि बन्दूक केबूते ये अपनी सीट जीतने की कुव्वत रखते हैं...

उत्तर प्रदेश की राजनीति में माफिया का बोलबाला कोई नयी बातनहीं..फर्क बस इतना है की इस बार ये जयादातर माफिया सायिकिल नहीं बल्कि हाथी पेबैठे हुए हैं और जनता से वोट मांग रहे हैं...मायावती को प्रधानमंत्रीबनने की जल्दी है लिहाजा इस बार उन्होंने माफियों को ढूढ़ ढूंढ कर टिकटदिए ताकि ज्यादा से ज्यादा तादाद में उनके सांसद चुनाव जीत कर आये..यानिसत्ता के लिए कोई भी कुछ करेगा..ये कुर्सी जो न कराये..जो कल तक अपराधीदीखते थे आज वो पाक-साफ़ हो गए...मुख्तार अंसारी का नाम और उसके कारनामेयूपी में तो हर कोई जनता है..कल तक मुख्तार अंसारी में बहिन जी खूंखारअपराधी की छवि दिखती थी लेकिन अब वो उनके लिए वो एक जाती विशेष के रहनुमाबन गए हैं लिहाजा मायावती ने मुख्तार को वाराणसी से बीएसपी का टिकट थमादिया..मुख्तार पर हत्या, अपहरण, वसूली, गैंग चलाने, विधायक क्रिश्नानदराय की हत्या, वीएह्पी नेता किशन रुंगटा की हत्या कर वसूली करने जैसे ३दर्जन आपराधिक मामले हैं..मुख्तार यूपी का घोषित माफिया डान है...बगल कीसीट गाजीपुर से माया ने उसके भाई अफजाल को टिकट दिया है..अफज़ल का भीऐसा ही क्रिमिनल रिकॉर्ड ..५ साल तक सांसद रहने वाले अंसारी ने ३ साल जेल मेंबिताये है.और लोकसभा में एक भी सवाल नहीं पुछा ...कुछ दिन पहले ही जमानतपे बाहर आये हैं.और हाथी पे बैठ गए ....पिछली बार सपा के साथथे इस बार माया के साथ हैं..विधायक क्रिश्नानद राय की हत्या करने काआरोप है इन सांसद महोदय पर....पश्चिम उत्तर प्रदेश में डीपी यादव को भलाकौन नहीं जनता..इतनी पार्टी में रह चुके हैं की अब शायद खुद भी याद नहींहोगा...यूपी, दिल्ली, हरयाणा और पुनजब में डीपी यादव पे दर्जन भर मुकदमेंअभी भी लंबित हैं..लेकिन डीपी बहिन जी की पसंद हैं लिहाजा माया ने उन्हेंभी लोकसभा के चुनाव में उतारने का ऐलान कर दिया है...बलरामपुर से मायावतीने वहां के माफिया और सामूहिक हतायाकान के आरोपी रिजवान ज़हीर को मैदानमें उतारा है..रिजवान पर करीब १५ मामले अभी भी कई जनपदों की अदालतों मेंचल रहे हैं...ये भी कभी सपाई थे लेकिन अब हाथी की सवारी कर रहेहैं...उन्नाव से मायावती ने लखनऊ के माफिया अरुण शंकर शुक्ल उर्फ़ अन्नाको चुनाव लड़ने भेजा है..उन्नाव की लड़ाई जीतने के लिए अन्ना ने कमर कास लीहै..कभी उसकी तलाश में पुलिस रहती लेकिन वक़्त बदल गया है...अन्ना अबपुलिस के सिक्यूरिटी में रहता है...लखनऊ पुलिस के रिकॉर्ड में आज भीअन्ना हिस्ट्री शीटर अपराधी है जो गैंग चलाता है...फूलपुर से बीएसपी नेकपिल मुनि करवरिया को टिकट दिया है करवरिया पर इलाहाबाद फतेहपुर औरकौशाम्बी में गुंडागर्दी के कई मामले चल रहे हैं..कबर है बीएसपी यहाँ सेकरवरिया का टिकट काट कर माफिया अतीक अहमद की पत्नी को भी चुनाव लड़वासकती है..अतीक और उसके भाई अशरफ पर बीएसपी के ही विधायक राजू पाल कीहत्या का आरोप है..और वो इसी जुर्म में जेल में है..फैजाबाद के बीएसपीसंसद मित्र सेन यादव ने बगावत कर दी तो माया ने उनकाटिकट काट दिया मित्रसेन अब मुलायम के मित्र हो गए हैं ऐसा ही कुछइलाहाबाद के खूंखार डॉन अतीक अहमद का है ...अतीक बीएसपी के विधायक राजूपाल की हत्या के इल्जाम में जेल में हैं लेकिन अच्विश्वास मत के दौरानउन्होंने मायावती का साथ दिया तो माया भी उनपे मेहरबान हो गयी..चर्चा हैकी अतीक की सीट यानी फूलपुर से उसकी पत्नी को बीएसपी टिकट देने वालीहै.... लेकिनइसके बाद भी मायावती कहती हैं वो इन अपराधियों को सुधरने का एक मौका देनाचाहती हैं

अकेले मायावती की ही पार्टी में माफिया नहीं हैं और भी दलों मेंइनकी तादाद खासी है..समाजवादी पार्टी ने माफिया ब्रजभूषण शरण सिंह कोकैसरगंज से टिकट दिया है...ब्रजभूषण पर दो दर्जन से ज्यादा मामले लंबितहैं..ब्रजभूषण अभी तक बीजेपी से सांसद थे लेकिन पिछले साल विशवास मत केदौरान पला बदल कर सपा के साथ आ गए थे...रमाकांत आजमगढ़ पुलिस के रिकॉर्डके मुताबिक माफिया हैं लेकिन बीजेपी ने उन्हें आजमगढ़ से टिकट दियाहै...

प्रतापगढ़ से हिस्ट्री शीटर अक्षय प्रताप सिंह उर्फ़ गोपाल सपा केसांसद है ..इस बार भी पार्टी उन्हें चुनाव लड़ा रही है ..गोपाल, प्रतापगढ़में राजा भैया के कारिंदे कहे जाते हैं और राजा भैया के नाम पर चुनावलड़ते हैं गोपाल पर भी हत्या, लूट, अपहरण जैसे दर्जन भात मामले चल रहे हैं .....अशोक चंदेल इस बार भी समाजवादी पार्टी से हमीरपुर से चुनावलडेंगे ..चंदेल पर सामूहिक हत्याकांड जैसे गंभी आरोप हैं और पुलिसरिकॉर्ड में चंदेल खनन माफिया कहलाते हैं...यूपी के माफिया जब सियासत मेंआते हैं खुद को अपनी जाती का रहनुमा बताने से भी नहीं चूकते....ये जनाबअरुण शंकर शुक्ल हैं ...लखनऊ के माफिया हैं और मायावती की पार्टी मेंशामिल होने बाद उन्नाव की सीट से चुनाव मैदान में हैं..चुनाव के समय कैसेइन्हें अपनी जाती याद आई.ज़रा आप भी सुनिए...

दरअसल .माफिया सत्ता के साथहोते हैं क्योंकि उन्हें अपना साम्राज्य चलाने के लिए पुलिस के सहाराचाहिए होता है..पुलिस इस बार भी इन माफियाओं को चुनाव लड़ते हुए चुप चापदेखेगी क्योंकि किसी को सत्ता धारी पार्टी के टिकट मिला है तो किसी कोविपक्ष के...अब उत्तर प्रदेश में माफिया के मतलब ...माननीय हो गया है

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