उत्तर प्रदेश के नेता अवसरवाद की बेहतरीन मिसाल हैं..ये कब किस पार्टी में चले जाएँ ये इन्हें भी नहीं पता होता..दलबदल कायूपी में ऐसा दलदल है ज्सिमें एक या दो नहीं बल्कि सैकडों नेता लथपथ हैं...इन दलबदलुओं को आप भी पहचानिये क्योंकि आपके ही वोट से ये पहुँचते हैं लोकसभा और करते हैं आपकी किस्मत का फैसला ......अब वक़्त आ गया है इन दलबदलुओं की किस्मत का फैसला आपके हाथ हैं..
.उत्तर प्रदेश की सत्ता और सांसद की कुर्सी का मिजाज एक जैसा है..दोनों चलायमान हैं...दोनों पाला बदलने में उस्ताद हैं...दोनों एक दूसरे से बड़कर मौकापरस्त हैं...जरुरत के समय दोनों अपना चेहरा बदल लेते हैं...आईये आप मिलिए अपने माननीय दलबदलू नेताओं ने जो आपके वोट के बूते लोकसभा पहुँचने के फेर में हैं...ये हैं नरेश अग्रवाल...यूपी की सियासत में जाना पहचाना नाम है इनका....दलबदल के सबसे बड़े उस्ताद माने जाते हैं..खूबी ये है की दलबदल करते हैं तो अपने साथ कुनबा भी बटोर ले जाते हैं...आजकल बहिन जी के साथ हैं...हाथी की सवारी कर रहे हैं और बीएसपी ने इन्हें फर्रुखाबाद से चुनाव मैंदान में उतारा है..लेकिन मायावती इन्हें ज्यादा भाव नहीं दे रही लिहाजा उपेक्षा के दौर में नरेश अपने पुराने दोस्तों से फिर संपर्क में हैं...नरेश अग्रवाल कभी कांग्रेस में थे..फिर पार्टी से बगावत करके लोकतांत्रिक कांग्रेस बनायीं..जब उससे भी जी भर गया तो मुलायम सिंह यदव के साथ चले गए और चार सालों तक मुलायम की सरकार में कबिनेट मंत्री पद और पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव का दर्जा लिए रहे...लेकिन यूपी में जैसे ही मायावती की सरकार आई तो नरेश हाथी पे बैठ गए.......नरेश अकेले नहीं हैं....अखिलेश दास इन दिनों बीएसपी के नए चेहरे बने हुए हैं...ये जनाब मनमोहन सिंह सरकार में केंदृया राज्य मंत्री रह चुके हैं लेकिन जब मंत्रिपरिषद से निकाल दिए गए तो पार्टी को भला बुरा कहते हुए तमाम आरोप लगाये...और कांग्रेस से इस्तीफा देकर हाथी पे चढ़ गए....अखिलेश ने कभी भी लोकसभा या विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा..कांग्रेस ने इन्हें तीन-तीन बार राज्यसभा भेजा लेकिन मंत्री पद हाथ से गया तो पाला बदल के माया के साथ हो लिए..मायावती ने अखिलेश पर मेहरबानियों की बारिश कर रखी है..पहले राज्यसभा भेजा फिर अब लखनऊ से लोकसभा लड़ने का टिकट भी थमा दिया.....अखिलेश दास की सबसे बड़ी काबलियत उनकी दौलत है....कभी सोनिया की शान में कुर्बान रहते थे आजकल बहन जी में इन्हें रब दिखता है.......पिछले बर्ष जब ये बीएसपी में शामिल हुए थे बाकी बची जिंदगी बहिन जी के चरणों में गुजार देने की कसम खायी...मौकापरस्ती और चापलूसी की ये मिसाल
दलबदलुओं की फेहरिस्त है बड़ी लम्बी....ये वो हैं जो सत्ता और कुर्सी के लिए अपना सबकुछ बेच डालने के लिए अमादा हैं..क्योंकि ये सियासत में कोई विचार या नीति के जरिये नहीं आते बल्कि सत्ताजनित लाभ के लिए तिकड़म के फेर में रहते हैं ..इन्हें कुर्सी चाहिए...जो दिला दे...ये उसके साथ हैं...न तो इनका दीन है न ईमान.....फ़िल्मी सितारे राजबब्बर भी इसी सूची में हैं..ये सितारा कभी समाजवादी था लेकिन अमर सिंह के चलते बागी हुआ फिर जनमोर्चा गए विधानसभा चुनाव में मुलायम को जमकर नुक्सान पहुँचाया लेकिन जब लगा की जनमोर्चा के रास्ते लोकसभा नहीं जा सकते तो कांग्रेस में प्रवेश कर गए...कांग्रेस ने इन्हें फतेहपुर सीकरी से टिकट दिया है....बेनी प्रसाद वर्मा कभी मुलायम के हमसफ़र थे...फिर बागी हुए तो अपनी पार्टी बनायीं लेकिन विधानसभा चुनाव में बेटे तक की सीट नहीं बच्चा पाए तो भागकर कांग्रेस के पाले में खड़े हो गए हैं..कांग्रेस ने भी इस बुजुर्ग नेता को गोंडा से टिकट दिया है...कल्याण सिंह राजेंती के जंगल में खुद तो भटक रहे हैं लेकिन अपने बेटे के लिए वो हर जगह स्थान सुरक्षित करा रहे हैं...राजवीर सिंह का नया पता समाजवादी पार्टी कार्यालय है...ये भी कभी बीजीपी तो कभी आरकेपी तो कभी निर्दलीय तो आजकल सपाई चोले में हैं....टिकट के लिए मची भगदड़ में हर कोई बेतहाशा दौड़ रहा है इसके लिए अगर प्रचलित रास्ता छोड़ शोर्ट कट का भी इस्तेमाल किया जा रहा है...थी..और नरेश अग्रावाल ने तो अपने बेटे तक को भी बहन जी के पास समर्पित कर दिया ....सुनिए इनका वो बयान जो बीएसपी जों करते वक़्त दिया था.....: टिकट कटा तो मुरादाबाद से सपा के सांसद शाफीकूर्रेह्मान बर्क़ मायावती के यहाँ पहुँच गए...माया ने इन्हें संभल से बीएसपी का प्रत्याशी बना दिया..कभी मुलायम को मुसलमानों का रहनुमा बताते थे लेकिन मुलायम ने इनका टिकट काट दिया तो उन्हें मुसलमान विरोशी बताने से भी नहीं चूकते..यानि अगर इन्हें कुछ नहीं मिला तो फ़ौरन उसे कौम के सम्मान से जोड़ दिया...
एटा के सपा सांसद देवेन्द्र यादव, गाजीपुर से अफज़ल अंसारी, मोहनलालगंज से जे प्रकाश रावत..ये सभी सपा के सांसद हैं लेकिन अब मायावती के पाले हैं..यानि दलबदल के साथ साथ इनका दिल भी बदल गया है...बीजेपी के बलरामपुर से सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह माफिया हैं ...इस बार ये सपा में आ गए हैं..ये अपने घमंड में इस कदर डूबे हैं हैं की अंहकार इनके सर चढ़ गया है कह रहे हैं अपने बूते चुनाव जीतते हैं
रीना चौधरी कांग्रेस से नाता तोड़कर मुलायम के साथ हैं..मित्रसेन यादव बीएसपी के अकेले ऐसे सांसद हैं जो पार्टी से अलग होकर समाजवादी की सयिकिल पे सवार हो चुके हैं..सुखदा मिश्र बीजेपी में मंत्री रह चुकी हैं लेकिन अब मायावती की पार्टी में शामिल चुकी हैं कानपूर सीट से श्रीप्रकाश जायसवाल को चुनौती देंगी...सूची बहुत लम्बी है...लेकिन मौकापरस्तों को इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता की जनता क्या सोचती है..तो इस बार आप इन दलबदलुओं को ठीक से पहचान लीजिये....
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