Sunday, July 12, 2009

मंत्री मांगे 5 करोड़

माया सरकार फिर चंदा वसूली के आरोपों के घेरे में है इस बार ये आरोप किसी अभियंता ने नहीं बल्कि बल्कि एक संस्कृत विश्वदियालय के कुलपति ने लगाये हैं....कुलपति ने मायावती को चिट्ठी लिख कर बताया है की उनकी सरकार के शिक्षा मंत्री बहिन जी के लिए पांच करोड़ का चंदा जमा कर रहे हैं...

मायावती सरकार फिर से कटघरे में है..इस बार आरोप लगा है शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र पर...रंगनाथ यूपी में माध्यमिक शिक्षा विभाग में मंत्री है और माया के सर्वजन फोर्मुले के तहत ब्रह्मं समाज से मंत्री बनाये गए हैं..संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है की सिक्षा मंत्री के आदेश पर शिक्षा निदेशालय के सहायक निदेशक महानद मिश्रद्वारा प्रत्येक अनुदान पाने वाले विद्यालयों से ५-५ लाख रूपये जमा कराये गए हैं और जिन्होंने पैसे नहीं दिए उनका अनुदान रोक लिया गया..कुलपति बीके शःत्री ने अपने पत्र में कहा है की शिक्षा मंत्री ने मुख्यमंत्री के नाम पर पांच करोड़ जमा करने का टारगेट बनाया है और अब तक २ करोड़ को वसूल चुके हैं...ये प्रकरण बेहद गंभीर है क्योंकि आरोप किसी ऐरे गिरे ने नहीं बल्कि कुलपति ने लगाये हैं..पत्र मिलने के बाद से सरकार भरी शर्मिंदगी की स्थिति में है लेकिन इस पर जाँच या एनी दूसरी कोई कार्रवाई की बात तो दूर इस पत्र को ही दबाने की व्यवस्था कर दी गया है...आरोपी मंत्री रंगनाथ मिश्र मायावती के लिए चन्दा वसूली के आरोपों से मन करते हुए उल्टे कुलपति पर ही आरोप लगा रहे हैं

पत्र लिखने के बाद कुलपति बीके शास्त्री अब बात करने को तईयार नहीं है..लेकिन उनके पत्र ने माया सरकार की चन्दा वसूली की प्रथा की पोल खोल दी है दरअसल यूपी में अभी हाल ही में सरकार ने २५६ विद्यालय को अनुदान की सूची यानी सरकारी सहायता देने का ऐलान किया था..इन संस्कृत विद्यालयों में जयादातर में ब्रह्मण परिवार के गरीब बच्चे संस्कृत पड़ने आते हैं और ये स्कूल मंदिर, ट्रस्ट या फिर बड़े लोगो द्वारा दिए जाने वाले दान के जरिये चलाया जाता है लेकिन दुर्भाग्य देखिये की इन्हें चन्दा देने के बजाय वसूला जा रहा है..और ऐसा तब हो रहा है जब मायावती ब्रह्मण समाज के लिए बड़ी उदार बतायी जा रही हैं..

अयोध्या मामला: अब तक २३ फाइलें हुई गायब

मायावती के राज में उत्तर प्रदेश सचिवालय से राम जन्म भूमि बनाम बाबरी मस्जिद विवाद के अब तक २३ अहम् दस्तावेज गायब हो चुके हैं..ये कागजात १९४९ और उसके बाद के हैं के हैं जो मुकदमें की सुनवाई के लिए काफी अहम् माने जा रहे हैं..इन कागजातों की तलाश के लिए गृह विभाग ने शासनादेश तक जारी किया लेकिन दस्तावेज अभी तक हासिल नहीं हुए हैं..यूपी सरकार के होम सेक्रेटरी के गोपनीय पत्र से ये नया खुलासा हुआ है की गायब होने वाले कागजात की संख्या ७ नहीं बल्कि २३ तक पहुचगयी है

अयोध्या के राम जन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद विवाद से संबंधित २३ पुराने कागज़ात ढूँढने के लिए हड़कंप मचा हुआ है..इसकी तलाश के लिए राज्य के प्रमुख सचिव गृह फतह बहादुर सिंह ने एक परिपत्र जारी किया है जिसमें सभी विभागों से कहा गया है की अयोध्या मामले से जुड़े दस्तावेज जिसके पास भी हों उसको फौरन गृह विभाग को उपलब्ध कराये..इसके लिए ६ जून की तिथि अंतिम निर्धारित की गयी थी जो बीत चुकी है लेकिन वो कागजात गायब हैं..अब होम सेक्रेटरी जावीद अहमद ने इसी डेट में पत्र लिखा है और ये कबूला है की ७ नहीं बल्कि अबत तक २३ फाइलें गायब हो चुकी हैं जिनका कोई अत पता नहीं है..सरकार की तरफ से सभी अनुभागों और कोर्ट को ये सूचना दी जा चुकी है..ये सनसनीखेज खुलासा हुआ है ये कागज़ात दिसंबर 1949 में विवादित मस्जिद परिसर में श्रीराम की मूर्तियाँ रखने के तुंरत बाद राज्य सरकार और ज़िला प्रशासन के बीच हुए पत्राचार और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की ओर से भेजे गए तार से संबंधित हैं. सुन्नी वक्फ़ बोर्ड ने जो कागज़ात माँगे हैं इनमें चार पत्र 20 जुलाई 1949 और तीन सितंबर 1949 को राज्य सरकार की ओर से ज़िलाधिकारी और कमिश्नर फ़ैज़ाबाद को भेजे गए थे. दो पत्र फ़ैज़ाबाद के ज़िलाधिकारी की ओर से 26 और 27 दिसंबर 1949 को राज्य के मुख्य सचिव को भेजे गए थे.सातवाँ कागज़ तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की ओर से राज्य सरकार को भेजा गया टेलीग्राम और अयोध्या में विवादित स्थल पर मालिकाना हक़ से सम्बंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज इसमें शामिल है..अगर इनकी मूल प्रति नहीं मिलती है तो अयोध्या विवाद पर कोर्ट चाहते हुए भी फैसला नहीं ले सकता..यानी मामला लाब्मे समय के लिए से लटक सकता है

हाईकोर्ट की विशेष पीठ ने कल राज्य के मुख्यसचिव अतुल गुप्त को इस मामले में व्यक्तिगत तौर पर तलब किया था.अदालत ने सुनवाई में इस बात पर नाराज़गी जताई कि राज्य सरकार पिछले पांच साल से इस मसले में हीलाहवाली कर रही है. बहस के दौरान अदालत ने कहा कि लगता है सरकार इस मामले में जल्दी फ़ैसला नहीं चाहती और मामले को लटकाए रखना चाहती है. कोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगायी है की अगर फाइलें गायब थी तो मुकदमा क्यों नहीं लिखवाया गया और दोषी लोगों के खिलाफ राज्य सर्कार ने कार्रवाई क्यों नहीं की...सरकार ने अदालत फिर समय माँगा है...लेकिन अब ये साफ़ हो गया है की वो फाइलें अब अतीत का विषय बन चुकी हैं...? क्या ये किसी साजिश का हिस्सा है ? इसका जवाब मिलना अभी बाकी है

Saturday, March 21, 2009

माया का मास्टर स्ट्रोक

मायावती ने अपने चुनावी अभियान का श्रीगणेश करने से पहले आज लखनऊ में सूबे के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की..लम्बे समय से माया की लिस्ट के इन्तेजार में रोजाना अटकलों का बाज़ार गरम रहता था...प्रत्याशियों के चयन में मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग का पूरा ध्यान रखा है..८० सीटों वाले सूबे में ब्राह्मण समाज को सबसे ज्यादा १९, उसके बाद दलितों को १७, मुस्लिम प्रत्याशी १७, राजपूत ०७, यादव ०४, और वैश्य समुदाय को मायावती ने ०३ सीटों पर चुनाव मैदान में उतारा है...जाहिर सी बात है है की इस बार भी माया ने ब्राहमणों पर करम किया है......

इस सूची में जो नाम हैं उनमें से कई तो काफी चौंकाने वाले हैं...मसलन, पूरब के घोषित मफियायों हरिशंकर तिवारी के परिवार में बीएसपी ने तीन सीटें दी है, बेटे विनय तिवारी को गोरखपुर और संत कबीर नगर जबकि भतीजे गणेश शंकर पाण्डेय को महराजगंज से बीएसपी ने उम्मीदवार बनाया है..पड़ोस में गाजीपुर से माफिया मुख्तार अंसारी के कहने पर उसके भाई अफजाल और खुद मुख्तार को माया ने वाराणसी सीट से प्रत्याशी चुना है...वाराणसी के पड़ोस में है जौनपुर वहां से कुख्यात माफिया धनञ्जय सिंह, हाथी की सवारी कर रहे हैं..जौनपुर से लगी सीट है फूलपुर यहाँ से कभी जवाहर लाल नेहरु सांसद थे अब अतीक अहमद हैं लेकिन मायावती ने कौशाम्बी के माफिया कपिल मुनि करवरिया को टिकट दिया है..आजमगढ़ से किसी तरह जोड़ तोड़ कर अकबर अहमद डम्पी अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे...श्रावस्ती से माफिया रिजवान ज़हीर उन्नाव से अन्ना शुक्ल, बदायूं से डीपी यादव जैसे नामी गिरामी माफिया हाथी के नाम पर वोट मांगते दिखेंगे...

.पैसे वालों पर भी माया की विशेष कृपा है..मेरठ से मलूक नागर, फर्रुखाबाद से नरेश अग्रवाल गौतमबुद्ध नगर से सुरेन्द्र नागर और लखनऊ से अखिलेश दास जैसे धनकुबेर मैदान में उतारे गए हैं..पार्टी के दो बड़े नेता प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्या को कुशीनगर जबकि शहीद सिद्दीकी को बिजनोर से टिकट मिला...दलबदलुओं की इस बार माया के घर बहार है....जगदीश राणा को सहारनपुर, मुजफ्फरनगर से कादिर राणा, लखनऊ से अखिलेश दास, नरेश अग्रवाल. देवेन्द्र यादव को एटा, सर्वराज सिंह को आंवला, शाफीकुर्र्रेह्मान को संभल, किरितिवर्धन को गोंडा और शिवाकांत ओझा को प्रतापगढ़ से बीएसपी ने टिकट दिया है..यानी दलबदलुओं की भी इस बार बल्ले बल्ले है..

.इस सूची में एक और ख़ास बात रही है की माया ने इस बार अपनी पार्टी के नेताओं का दबाव एक तरह से स्वीकार कर लिया है..पार्टी ने परिवारवाद को जगह दी है..अलीगढ से मंत्री जयवीर सिंह की पत्नी राजकुमारी सिंह, फतेहपुर सीकरी से मंत्री रामवीर उपाध्याय की पत्नी सीमा उपाध्याय, शाहजहांपुर से विधायक विजय पाल की पत्नी सुनीता सिंह और सीतापुर से विधायक जासमीर अंसारी की पत्नी कैसर जहाँ को टिकट देकर पार्टी के भीतर की बगावत को शांत करने की कोशिश की गयी है...पार्टी ने अपने बेस वोट बैंक दलित समुदाय में टिकटों के वितरण में ज्यादा सतर्कता बरती है इसलिए एक एक सीटों पर २-३ बार प्रत्याशी बदले जाने के बाद आज अंतिम सूची जारी की गयी....मायावती ने टिकट वितरण में इस बार बाकियों के मुकाबले ब्राह्मणों को ज्यादा तवज्जो को देकर एक फिर १४ फीसदी वाले इस वोट बैंक पर हाथी का जाल फेंका है..

ये मुन्ना तो सियासी है !!!

संजय दत्त को सियासत की हवा ऐसी लगी है है की अब वो हर दर पर मत्था टेक रहे हैं....हनुमान जी को लड्डू चढाने के बाद आज वो लखनऊ के हर बडे छोटे मौलानाओं से मिले और अपने लिए दुआ करने की अर्जी लगायी लेकिन मौलाना तो मौलान ठहरे संजय के लिए सियासी दुआ करने के बजाय उन्हें मेहमान बताते रहे जबकि संजूबाबा कहते रह गए की वो तो घर के आदमी हैं..

: मुन्ना तेरे कितने रूप....ये sanjay दत्त तो सियासी है...रोज ही चोला बदल रहा है मुन्ना भाई....नगरी नगरी द्वारे द्वारे..फरियाद लगा रहे हैं संजय दत्त कि उन्हें अक्षय कुमार की सिंह इज किंग की तरह .".इक बारी...." मौका दे दो..लेकिन लखनऊ कि जानता इतनी आसानी से कुछ देती नहीं...लेकिन संजूबाबा जल्दी में हैं उन्हें लगता है कि फौरान समर्थन क्यों नहीं मिल रहा है? मिलेगा भी कैसे..ये रील नहीं बल्कि रियल लाइफ कि सियासत है जहाना पाते बहुत थोड़े लोग हैं और खोने वालों कि तादाद ज्यादा है..फिलहाल उनके लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाज़त मिलना अभी पहली बड़ी बाधा है
मुन्ना भाई इस बार लाब्मे प्रवास पर लखनऊ आये हैं...सब से मिल लेना चाहते हैं....ताकि वोट पक्का रहे...मंदिर-मस्जिद...गुरु, मौलाना युवा, महिलाएं, डॉक्टर, प्रोफ़ेसर और पार्टी के वोर्केर्स...मुन्ना सबसे गाँधी गिरी कर रहे हैं लेकिन इस बार जब संजू बाबा लखनऊ पहुंचे तो माहौल बदला हुआ था...बीजेपी ने लालजी टंडन को मैदान उतार दिया और टंडन ने संजू पर बाहरी होने का हमला कर कर दिया..वो अपने को लखनऊ का बताते हैं और यहाँ से अपनी बुनियाद तलाश रहे हैं लेकिन उनकी बात आसानी से लोगों के गले नहीं उतर रही हैं यही वजह है कि मौलाना खालिद रशीद फिरंगीमहली ने कहा कि वो संजू के लिए सियासी अपील नहीं करेंगे लेकिन मेहमान के नाते वो उनका स्वागत करते हैं....मौलाना के दर से संजू बाबा खाली हाथ लौटे

सियासत जो कराये..सिल्वर स्क्रीन का सितारा अब ज़मी पर है...लोगों के हाथ जोड़ रहा है..एक अदद वोट के लिए गली-गली घूम रहा है...हर शोट पर मेकप लेने वाला संजय दत्त दिन-दिन भर लखनऊ कि गलियों कि धुल फांक रहा है..प्रचार के समय आज अमर सिंह वापस दिल्ली चले गए तो उनकी सुरक्षा करने वाले कमांडो भी वापस चले गए...सुरक्षा का अभाव और भीड़ कि धक्का मुक्की से संजय

Sunday, March 8, 2009

दलबदल का दलदल!!! दलबदलुओं को पहचानो

उत्तर प्रदेश के नेता अवसरवाद की बेहतरीन मिसाल हैं..ये कब किस पार्टी में चले जाएँ ये इन्हें भी नहीं पता होता..दलबदल कायूपी में ऐसा दलदल है ज्सिमें एक या दो नहीं बल्कि सैकडों नेता लथपथ हैं...इन दलबदलुओं को आप भी पहचानिये क्योंकि आपके ही वोट से ये पहुँचते हैं लोकसभा और करते हैं आपकी किस्मत का फैसला ......अब वक़्त आ गया है इन दलबदलुओं की किस्मत का फैसला आपके हाथ हैं..

.उत्तर प्रदेश की सत्ता और सांसद की कुर्सी का मिजाज एक जैसा है..दोनों चलायमान हैं...दोनों पाला बदलने में उस्ताद हैं...दोनों एक दूसरे से बड़कर मौकापरस्त हैं...जरुरत के समय दोनों अपना चेहरा बदल लेते हैं...आईये आप मिलिए अपने माननीय दलबदलू नेताओं ने जो आपके वोट के बूते लोकसभा पहुँचने के फेर में हैं...ये हैं नरेश अग्रवाल...यूपी की सियासत में जाना पहचाना नाम है इनका....दलबदल के सबसे बड़े उस्ताद माने जाते हैं..खूबी ये है की दलबदल करते हैं तो अपने साथ कुनबा भी बटोर ले जाते हैं...आजकल बहिन जी के साथ हैं...हाथी की सवारी कर रहे हैं और बीएसपी ने इन्हें फर्रुखाबाद से चुनाव मैंदान में उतारा है..लेकिन मायावती इन्हें ज्यादा भाव नहीं दे रही लिहाजा उपेक्षा के दौर में नरेश अपने पुराने दोस्तों से फिर संपर्क में हैं...नरेश अग्रवाल कभी कांग्रेस में थे..फिर पार्टी से बगावत करके लोकतांत्रिक कांग्रेस बनायीं..जब उससे भी जी भर गया तो मुलायम सिंह यदव के साथ चले गए और चार सालों तक मुलायम की सरकार में कबिनेट मंत्री पद और पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव का दर्जा लिए रहे...लेकिन यूपी में जैसे ही मायावती की सरकार आई तो नरेश हाथी पे बैठ गए.......नरेश अकेले नहीं हैं....अखिलेश दास इन दिनों बीएसपी के नए चेहरे बने हुए हैं...ये जनाब मनमोहन सिंह सरकार में केंदृया राज्य मंत्री रह चुके हैं लेकिन जब मंत्रिपरिषद से निकाल दिए गए तो पार्टी को भला बुरा कहते हुए तमाम आरोप लगाये...और कांग्रेस से इस्तीफा देकर हाथी पे चढ़ गए....अखिलेश ने कभी भी लोकसभा या विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा..कांग्रेस ने इन्हें तीन-तीन बार राज्यसभा भेजा लेकिन मंत्री पद हाथ से गया तो पाला बदल के माया के साथ हो लिए..मायावती ने अखिलेश पर मेहरबानियों की बारिश कर रखी है..पहले राज्यसभा भेजा फिर अब लखनऊ से लोकसभा लड़ने का टिकट भी थमा दिया.....अखिलेश दास की सबसे बड़ी काबलियत उनकी दौलत है....कभी सोनिया की शान में कुर्बान रहते थे आजकल बहन जी में इन्हें रब दिखता है.......पिछले बर्ष जब ये बीएसपी में शामिल हुए थे बाकी बची जिंदगी बहिन जी के चरणों में गुजार देने की कसम खायी...मौकापरस्ती और चापलूसी की ये मिसाल

दलबदलुओं की फेहरिस्त है बड़ी लम्बी....ये वो हैं जो सत्ता और कुर्सी के लिए अपना सबकुछ बेच डालने के लिए अमादा हैं..क्योंकि ये सियासत में कोई विचार या नीति के जरिये नहीं आते बल्कि सत्ताजनित लाभ के लिए तिकड़म के फेर में रहते हैं ..इन्हें कुर्सी चाहिए...जो दिला दे...ये उसके साथ हैं...न तो इनका दीन है न ईमान.....फ़िल्मी सितारे राजबब्बर भी इसी सूची में हैं..ये सितारा कभी समाजवादी था लेकिन अमर सिंह के चलते बागी हुआ फिर जनमोर्चा गए विधानसभा चुनाव में मुलायम को जमकर नुक्सान पहुँचाया लेकिन जब लगा की जनमोर्चा के रास्ते लोकसभा नहीं जा सकते तो कांग्रेस में प्रवेश कर गए...कांग्रेस ने इन्हें फतेहपुर सीकरी से टिकट दिया है....बेनी प्रसाद वर्मा कभी मुलायम के हमसफ़र थे...फिर बागी हुए तो अपनी पार्टी बनायीं लेकिन विधानसभा चुनाव में बेटे तक की सीट नहीं बच्चा पाए तो भागकर कांग्रेस के पाले में खड़े हो गए हैं..कांग्रेस ने भी इस बुजुर्ग नेता को गोंडा से टिकट दिया है...कल्याण सिंह राजेंती के जंगल में खुद तो भटक रहे हैं लेकिन अपने बेटे के लिए वो हर जगह स्थान सुरक्षित करा रहे हैं...राजवीर सिंह का नया पता समाजवादी पार्टी कार्यालय है...ये भी कभी बीजीपी तो कभी आरकेपी तो कभी निर्दलीय तो आजकल सपाई चोले में हैं....टिकट के लिए मची भगदड़ में हर कोई बेतहाशा दौड़ रहा है इसके लिए अगर प्रचलित रास्ता छोड़ शोर्ट कट का भी इस्तेमाल किया जा रहा है...थी..और नरेश अग्रावाल ने तो अपने बेटे तक को भी बहन जी के पास समर्पित कर दिया ....सुनिए इनका वो बयान जो बीएसपी जों करते वक़्त दिया था.....: टिकट कटा तो मुरादाबाद से सपा के सांसद शाफीकूर्रेह्मान बर्क़ मायावती के यहाँ पहुँच गए...माया ने इन्हें संभल से बीएसपी का प्रत्याशी बना दिया..कभी मुलायम को मुसलमानों का रहनुमा बताते थे लेकिन मुलायम ने इनका टिकट काट दिया तो उन्हें मुसलमान विरोशी बताने से भी नहीं चूकते..यानि अगर इन्हें कुछ नहीं मिला तो फ़ौरन उसे कौम के सम्मान से जोड़ दिया...

एटा के सपा सांसद देवेन्द्र यादव, गाजीपुर से अफज़ल अंसारी, मोहनलालगंज से जे प्रकाश रावत..ये सभी सपा के सांसद हैं लेकिन अब मायावती के पाले हैं..यानि दलबदल के साथ साथ इनका दिल भी बदल गया है...बीजेपी के बलरामपुर से सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह माफिया हैं ...इस बार ये सपा में आ गए हैं..ये अपने घमंड में इस कदर डूबे हैं हैं की अंहकार इनके सर चढ़ गया है कह रहे हैं अपने बूते चुनाव जीतते हैं

रीना चौधरी कांग्रेस से नाता तोड़कर मुलायम के साथ हैं..मित्रसेन यादव बीएसपी के अकेले ऐसे सांसद हैं जो पार्टी से अलग होकर समाजवादी की सयिकिल पे सवार हो चुके हैं..सुखदा मिश्र बीजेपी में मंत्री रह चुकी हैं लेकिन अब मायावती की पार्टी में शामिल चुकी हैं कानपूर सीट से श्रीप्रकाश जायसवाल को चुनौती देंगी...सूची बहुत लम्बी है...लेकिन मौकापरस्तों को इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता की जनता क्या सोचती है..तो इस बार आप इन दलबदलुओं को ठीक से पहचान लीजिये....

उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण सीटें और मुकाबले

लखनऊ: अटल विहारी वाजपयी लखनऊ से पांच बार सांसद रह चुके है..अटल जी नेराजनीति से संन्यास क्या लिया उनकी विरासत पर कब्जा करने की मानो होड़ सीमच गयी है..बीजेपी ने लालजी टंडन अपना उम्मीदवार बनाया है जबकि समाजवादीपार्टी ने फिल्म स्टार संजय दत्त को टिकट देकर लखनऊ के चुनाव में आकर्षणपैदा कर दिया है..बीएसपी ने पूर्व मंत्री और धनबली अखिलेश दास को लखनऊ कीलड़ाई जीतने के लिए उतारा है...
मैनपुरी: सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव के लिए मैनपुरी के सीट हमेशा सेमुफीद रही है...मुलायम इस बार भी यहाँ से चुनाव मैदान में हैं...उनकेमुकाबले में बीजेपी ने भजन गायिका तृप्ति शाक्य और टिकट दिया है लेकिनमुलायम और मैनपुरी में चुनौती देना आसान नहीं है..इसके पहले जब मुलायम नेये सीट खली की थी तो उन्होंने अपने भतीजे धर्मेन्द्र यादव और चुनाव लड्याथा..धर्मेन्द्र रिकॉर्ड वोटों से जीत के आये थे...
गाजियाबाद: बीजेपी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह इस बार यहाँ से चुनाव मैदानमें हैं..बदले हुए परिसीमन से जाट और राजपूत वोटरों की तादाद देख राजनाथयहाँ से चुनाव लड़ने और तैयार हुए हैं...बीएसपी ने उनके मुकाबले अमरपालसिंह और टिकट दिया है..जबकि सपा और कांग्रेस की आपसी तालमेल के आभाव मेंयहाँ से अभी इनका उम्मीदवार आना बाकि है...इस सीट पर सपा और कांग्रेसदोनों का अपना अपना दावा है...
फतेहपुर सीकरी: फिल्म स्टार और पुराने समाजवादी राजबब्बर कांग्रेस केटिकट पर नए परिसीमन के फलस्वरूप बनायीं गयी इस सीट से चुनाव लड़ रहेहैं..बबब्र इसके पहले अगर से सांसद रह चुके हैं..जन्मोर्च से नाता तोड़ केवो अब कांग्रेस के पाले में हैं..सपा उनसे हिसाब चुकता करना चाहती हैइसलिए यहाँ से उसने काफी पहले अपना उम्मीदवार घोषित कर रखा है. सपा नेप्रेम कुमारी परमार और अपना उम्मीदवार बनाया
कानपुर: केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जैसवाल यहाँ से सांसद हैंलेकिन जैसवाल यहाँ इस बार घिर गए हैं...हलाकि सपा ने अभी तक यहाँ अपनाउम्मीदवार घोषित नहीं किया ही लेकिन बीएसपी ने अपना प्रत्यशी बदलकरबीजेपी से हाल ही में बहिन जी के साथ आई पूर्व मंत्री सुखदा मिश्रा औरटिकट देकर खलबली मचा दिया है..कानपूर का चुनाव भी बेहद दिलचस्प होने वालाहै...बीजेपी ने अभी तक अपने प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है
रामपुर: फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा रामपुर से समाजवादी पार्टी की सांसदहैं..जाया इस बार भी यहीं से चुनाव मैदान में हैं लेकिन इस बार माहौलउनके बदला हुआ है...सपा के मुस्लिम नेता आज़मा खान उनके खिलाफ बगावत करचुके हैं...वो जाया और टिकट दिए जाने से खफा हैं...बीजेपी ने अभी तक अपनाउम्मीदवार यहाँ से घोषित नहीं किया है लेकिन माना जा रहा है की उपाध्यक्षमुख्तार अब्बास नकवी यहाँ से चुनाव लड़ने वाले हैं..तोह कांग्रेस भीतैयारी में है की अगर ये सीट उसे नहीं मिली तो रामुर की बेगम नूर बानोचुनाव लड़ाएगी
वाराणसी: डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी ने एक हार के बाद इलाहाबाद से पल्लाचुदा लेने में ही भलाई समझी है...जोशी इस बार धार्मिक नगरी से बीजेपी केउम्मीदवार हैं..बीएसपी ने माफिया डॉन मुख्तार अंसारी और उतारा है जबकिकांग्रेस ने अपने सांसद राजेश मिश्रा और फिर से टिकट देने का फैसला कियाहै..जोशी और मुख्तार आमने सामने हैं....इसलिए बनारस का चुनाव इस बारदेखने लायक
होगा
गोरखपुर: ये ऐसा इलाका रहा है जहाँ से बीजेपी का मतलब योगी आदित्यनाथसमझा और माना जाता है..योगी यहाँ से सांसद हैं और उनके नाम पर बीजेपीयहाँ से कई विधायक चुन कर पा जाती है..लेकिन इस बार योगी का मुकाबला होनेजा रहा है भोजपुरी फिल्मों के नायक और गायक मनोज तिवारी से..जबकि बीएसपीने भी ब्रह्मण उम्मीदवार और पूरब के माफिया हरी शंकर तिवारी के बेटे विनयतिवारी और टिकट दिया है

माफिया की "माया

उत्तर प्रदेश का ताकतवर माफिया सिंडिकेट इस बार फिर से चुनावमैदान में है...हमेशा सत्ता के साथ रहने वाला ये सिंडिकेट इस बार हाथ कीसवारी कर रहा है..इस राज्य की सियासत का अपराधीकरण हो चुका है इसलिएसत्ता की चाभी हथियाने के लिए सभी को इनका सहारा चाहिए क्योंकि बन्दूक केबूते ये अपनी सीट जीतने की कुव्वत रखते हैं...

उत्तर प्रदेश की राजनीति में माफिया का बोलबाला कोई नयी बातनहीं..फर्क बस इतना है की इस बार ये जयादातर माफिया सायिकिल नहीं बल्कि हाथी पेबैठे हुए हैं और जनता से वोट मांग रहे हैं...मायावती को प्रधानमंत्रीबनने की जल्दी है लिहाजा इस बार उन्होंने माफियों को ढूढ़ ढूंढ कर टिकटदिए ताकि ज्यादा से ज्यादा तादाद में उनके सांसद चुनाव जीत कर आये..यानिसत्ता के लिए कोई भी कुछ करेगा..ये कुर्सी जो न कराये..जो कल तक अपराधीदीखते थे आज वो पाक-साफ़ हो गए...मुख्तार अंसारी का नाम और उसके कारनामेयूपी में तो हर कोई जनता है..कल तक मुख्तार अंसारी में बहिन जी खूंखारअपराधी की छवि दिखती थी लेकिन अब वो उनके लिए वो एक जाती विशेष के रहनुमाबन गए हैं लिहाजा मायावती ने मुख्तार को वाराणसी से बीएसपी का टिकट थमादिया..मुख्तार पर हत्या, अपहरण, वसूली, गैंग चलाने, विधायक क्रिश्नानदराय की हत्या, वीएह्पी नेता किशन रुंगटा की हत्या कर वसूली करने जैसे ३दर्जन आपराधिक मामले हैं..मुख्तार यूपी का घोषित माफिया डान है...बगल कीसीट गाजीपुर से माया ने उसके भाई अफजाल को टिकट दिया है..अफज़ल का भीऐसा ही क्रिमिनल रिकॉर्ड ..५ साल तक सांसद रहने वाले अंसारी ने ३ साल जेल मेंबिताये है.और लोकसभा में एक भी सवाल नहीं पुछा ...कुछ दिन पहले ही जमानतपे बाहर आये हैं.और हाथी पे बैठ गए ....पिछली बार सपा के साथथे इस बार माया के साथ हैं..विधायक क्रिश्नानद राय की हत्या करने काआरोप है इन सांसद महोदय पर....पश्चिम उत्तर प्रदेश में डीपी यादव को भलाकौन नहीं जनता..इतनी पार्टी में रह चुके हैं की अब शायद खुद भी याद नहींहोगा...यूपी, दिल्ली, हरयाणा और पुनजब में डीपी यादव पे दर्जन भर मुकदमेंअभी भी लंबित हैं..लेकिन डीपी बहिन जी की पसंद हैं लिहाजा माया ने उन्हेंभी लोकसभा के चुनाव में उतारने का ऐलान कर दिया है...बलरामपुर से मायावतीने वहां के माफिया और सामूहिक हतायाकान के आरोपी रिजवान ज़हीर को मैदानमें उतारा है..रिजवान पर करीब १५ मामले अभी भी कई जनपदों की अदालतों मेंचल रहे हैं...ये भी कभी सपाई थे लेकिन अब हाथी की सवारी कर रहेहैं...उन्नाव से मायावती ने लखनऊ के माफिया अरुण शंकर शुक्ल उर्फ़ अन्नाको चुनाव लड़ने भेजा है..उन्नाव की लड़ाई जीतने के लिए अन्ना ने कमर कास लीहै..कभी उसकी तलाश में पुलिस रहती लेकिन वक़्त बदल गया है...अन्ना अबपुलिस के सिक्यूरिटी में रहता है...लखनऊ पुलिस के रिकॉर्ड में आज भीअन्ना हिस्ट्री शीटर अपराधी है जो गैंग चलाता है...फूलपुर से बीएसपी नेकपिल मुनि करवरिया को टिकट दिया है करवरिया पर इलाहाबाद फतेहपुर औरकौशाम्बी में गुंडागर्दी के कई मामले चल रहे हैं..कबर है बीएसपी यहाँ सेकरवरिया का टिकट काट कर माफिया अतीक अहमद की पत्नी को भी चुनाव लड़वासकती है..अतीक और उसके भाई अशरफ पर बीएसपी के ही विधायक राजू पाल कीहत्या का आरोप है..और वो इसी जुर्म में जेल में है..फैजाबाद के बीएसपीसंसद मित्र सेन यादव ने बगावत कर दी तो माया ने उनकाटिकट काट दिया मित्रसेन अब मुलायम के मित्र हो गए हैं ऐसा ही कुछइलाहाबाद के खूंखार डॉन अतीक अहमद का है ...अतीक बीएसपी के विधायक राजूपाल की हत्या के इल्जाम में जेल में हैं लेकिन अच्विश्वास मत के दौरानउन्होंने मायावती का साथ दिया तो माया भी उनपे मेहरबान हो गयी..चर्चा हैकी अतीक की सीट यानी फूलपुर से उसकी पत्नी को बीएसपी टिकट देने वालीहै.... लेकिनइसके बाद भी मायावती कहती हैं वो इन अपराधियों को सुधरने का एक मौका देनाचाहती हैं

अकेले मायावती की ही पार्टी में माफिया नहीं हैं और भी दलों मेंइनकी तादाद खासी है..समाजवादी पार्टी ने माफिया ब्रजभूषण शरण सिंह कोकैसरगंज से टिकट दिया है...ब्रजभूषण पर दो दर्जन से ज्यादा मामले लंबितहैं..ब्रजभूषण अभी तक बीजेपी से सांसद थे लेकिन पिछले साल विशवास मत केदौरान पला बदल कर सपा के साथ आ गए थे...रमाकांत आजमगढ़ पुलिस के रिकॉर्डके मुताबिक माफिया हैं लेकिन बीजेपी ने उन्हें आजमगढ़ से टिकट दियाहै...

प्रतापगढ़ से हिस्ट्री शीटर अक्षय प्रताप सिंह उर्फ़ गोपाल सपा केसांसद है ..इस बार भी पार्टी उन्हें चुनाव लड़ा रही है ..गोपाल, प्रतापगढ़में राजा भैया के कारिंदे कहे जाते हैं और राजा भैया के नाम पर चुनावलड़ते हैं गोपाल पर भी हत्या, लूट, अपहरण जैसे दर्जन भात मामले चल रहे हैं .....अशोक चंदेल इस बार भी समाजवादी पार्टी से हमीरपुर से चुनावलडेंगे ..चंदेल पर सामूहिक हत्याकांड जैसे गंभी आरोप हैं और पुलिसरिकॉर्ड में चंदेल खनन माफिया कहलाते हैं...यूपी के माफिया जब सियासत मेंआते हैं खुद को अपनी जाती का रहनुमा बताने से भी नहीं चूकते....ये जनाबअरुण शंकर शुक्ल हैं ...लखनऊ के माफिया हैं और मायावती की पार्टी मेंशामिल होने बाद उन्नाव की सीट से चुनाव मैदान में हैं..चुनाव के समय कैसेइन्हें अपनी जाती याद आई.ज़रा आप भी सुनिए...

दरअसल .माफिया सत्ता के साथहोते हैं क्योंकि उन्हें अपना साम्राज्य चलाने के लिए पुलिस के सहाराचाहिए होता है..पुलिस इस बार भी इन माफियाओं को चुनाव लड़ते हुए चुप चापदेखेगी क्योंकि किसी को सत्ता धारी पार्टी के टिकट मिला है तो किसी कोविपक्ष के...अब उत्तर प्रदेश में माफिया के मतलब ...माननीय हो गया है

लखनऊ में बीएसपी का ब्राह्मण कार्ड

लखनऊ में अटल विहारी वाजपयी की गैरमौजूदगी का फायदा उठाने कीतैयारी में लगी है बीएसपी..लखनऊ में ब्राहमणों का सम्मलेन कर पार्टी नेयहाँ बीजेपी के खेमे में खासी हलचल मचा दी है..और खास बात ये है कीब्राह्मण सम्मलेन लखनऊ से बीजेपी के उम्मीदवार लालजी टंडन के गढ़ यानीचौक में किया गया..

लखनऊ में बीएसपी समाजवादी मुन्नाभाई को घेरने की तयारी में है..लखनऊसंसदीय क्षेत्र में ११ फीसदी ब्राह्मण मतदाता इस बार निर्णायक भूमिका मेंहै..बीजेपी ने लालजी टंडन को उतारा है. हालाँकि ब्राह्मण मतदाता वाजपयीके साथ लखनऊ में खाधा रहा है लेकिन अब उत्तर प्रदेश की राजनैतिक भूमि बदलचुकी है..ब्राह्मण अब बीएसपी के लिए नारा लगा रहे हैं " ब्रह्मण शंखबजायेगा...हाथी दिल्ली जाएगा" इस नारे के साथलोकसभा चुनाव की तैयारी में बीएसपी ताल ठोंककर मैदान में है औरबीजेपी केसाथ कांग्रेसको ललकार रही है...बीएसपी में माया के बादसबसे बड़े कद के नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने ब्रह्मण सम्मलेन का जारी हैआज उन्होंने लखनऊ में बड़ी तादाद में जुटे ब्राहमणों को उनका गौरव याददिलाया..वाजपेयी मु से बहार हैं लिहाजा बीएसपी लखनऊ में मुन्नाभाई को चितकरने के लिए ब्राहमणों को पटाने में जुट गयी है

उत्तर प्रदेश में ८० लोकसभा सीटों में से ३४ ऐसी हैं जिस परब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करता है..यूपी में करीब १२ फीसदीब्राह्मण मतदाता है..इस बड़े वोट बैंक पर कभी कांग्रेस उसके बाद बीजेपीका कब्जा रहा है लेकिन माया और सतीश मिश्र ने ऐसी सोशल इन्जीनेअरिंगदिखाई की पिछले विधानसभा चुनाव में बीएसपी बहुमत में आ गयी..यही फार्मूलाअब लोकसभा चुनाव में भी अजमाया जा रहा है.यही वजह है १२फीसदी की हिस्सेदारी वाले इस बड़े वर्ग सतीश चन्द्र मिश्रऔर मायावती उसका महत्त्व बता रही हैंलखनऊ में मुन्ना भाई के लिए ब्राह्मण मतदाताओं को पटा पाना खासा कठिनहोगा क्योंकि बीएसपी यहाँ अपना ब्राह्मण कार्ड खेलने की तैयारी में है

पिछले २० दिनों से सतीश मिश्र उत्तर प्रदेश के ३५ जनपदों मेंब्राह्मण सम्मलेन कर इस वर्ग को रिझाने में लगे हैं..पार्टी कोई कसर बाकीनहीं छोडना नहीं चाहती..इसीलिए ब्राहमणों को समझाया जा रहा है की बीएसपीही उनका खोया हुआ गौरव वापस दिला सकती है..लखनऊ में तो मुन्ना भाई के लिएये खतरे की घंटी है